चलतचित्र
सोमवार, ११ जुलै, २०१६
काश आसमां का सितारा एक आईना होता |
बिछड़े अपनों की तो जो एक तस्वीर भर दिखाता |
एक पल ही सही गुजरे लम्हों में मैं फिर से जी पाता !
- मकरंद सुधाकर पाटोळे कदम.
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